आओ आओ यशोदा के लाल
आओ आओ यशोदा के लाल .
आज मोहे दरशन से कर दो निहाल .
आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल ..
नैया हमारी भंवर मे फंसी .
कब से अड़ी उबारो हरि .
कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल .( २)
आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल ..
अब तो सुन लो पुकार मेरे जीवन आधार .
भवसागर है अति विशाल .
लाखों को तारा है तुमने गोपाल .( २)
आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल ..
यमुना के तट पर गौवें चराकर .
छीन लिया मेरा मन मुरली बजाकर .
हृदय हमारे बसो नन्दलाल . ( २)
आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल ..
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
मैया मोरी इ
मैया मोरी मैया मोरी
मैया मोरी मैया मोरी
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
मैया मोरी भोर भये गईयन के पाछे
तूने मधुबन मोहे पठायों
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
भोर भये गईयन के पाछे
तूने मधुबन मोहे पठायों
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
चार पहर वंशीवट भटक्यो
सांझ परे घर आयो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
मैं बालक बहियन को छोटो
छींको किहि विधि पायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं
बरबस मुख लपटायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
तू जननी मन की अति भोली
इनके कहे पतियायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
यह ले अपनी लकुटि कम्बलिया
तुने बहुतहि नाच नचायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
जिय तेते कछु भेद उपजिहै
जानि परायो जायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
“सूरदास” तब हँसी यशोदा
लै उर-कंठ लगायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो