श्री गणेशाय नमः
ऊं एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात
Ganesh Chaturthi or Ganesh Utsav is celebrated as the birthday of Lord Ganesh (the elephant-headed God of Wisdom and Prosperity and the son of Lord Shiva and Ma Parvati).
This festival falls on the fourth day (Chaturthi) of the bright fortnight of Bhadrapada month of the Hindu calendar around August-September. It is celebrated all across India and is the biggest festival in Maharashtra. Ganesh Chaturti is celebrated for a period of ten days.
Fasting, feasting and distribution of sweets offered to Lord Ganesh are important aspects of Ganesh chaturthi rituals in India. Hindus pray to images of Lord Ganesha. Praying to Lord Ganesh during the festival will bring good luck and prosperity for the family…………..read more.
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं का बहुत बड़ा स्थान होता है ।
इन देवी-देवताओं में सबसे अग्रणी हैं भगवान गणेश । भगवान गणेश को हिंदू धर्म में सबसे पहले पूजा की जाती है ।
गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणपति की प्रतिमा को घर लाकर पूजा की शुरुआत करते हैं।
गणेश चतुर्थी पूरे 11 दिनों तक मनाई जाती है। यह चतुर्थी पर शुरू होता है जब लोग अपने घरों और मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। यह त्योहार गणेश विसर्जन के साथ अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है।
संध्या के समय गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करते हैं। अंत में गणेश मंत्र ‘ ऊं गणेशाय नम:’ अथवा ‘ऊं गं गणपतये नम: का श्रद्धा के अनुसार जाप करते हैं।
गणेश चतुर्थी को संकटा चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत व पूजा की जाती है।
भगवान गणेश सभी दु:खों को हरने वाले हैं। इनकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी का पूजन करना शुभ एवं मंगलकारी होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की विशेष पूजा एवं व्रत होता है।
गणेशजी के माता-पिता : पार्वती और शिव।
गणेशजी के भाई : श्रीकार्तिकेय ।
गणेशजी के प्रमुख नाम : विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट ।
गणेशजी की पत्नियां : गणेशजी की 5 पत्नियां हैं : ऋद्धि, सिद्धि, तुष्टि, पुष्टि और श्री।
गणेशजी का जप मंत्र : ॐ गं गणपतये नम: ।
गणेश चतुर्थी पूजा (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी)
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी ही गणेश चतुर्थी कहलाती हैं । वैसे तो हर महिने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का पूजन व व्रत किया जाता है । परन्तु भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का विशेष महत्व है । इस द्न मध्यान्ह के समय गणेश जी का जन्म हुआ था । अत: इसे गणेश जन्मोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है…………….. आगे पढ़े ।
गणेश चतुर्थी कथा
एक बार भगवान् श्री शंकर स्नान करने के लिए कैलाश पर्वत से भोगावती नामक स्थान पर गए । उनके जाने के बाद माता पार्वती स्नान करते समय अपने शरीर के मैल से एक पुतला बनाया तथा उसमें प्राण डाल दिए । उसका नाम उन्होने गणेश रखा । फिर पार्वती जी ने गणेश जी से एक मुद्गर लेकर दरवाजे पर जाकर तब तक पहरा देने के लिए कहा जब तक वह स्नान ना कर लें …………….. आगे पढ़े ।
गणेश स्तुति मंत्र
ॐ श्री गणेशाय नम:।
ॐ गं गणपतये नम:।
ॐ वक्रतुण्डाय नम:।
ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।
ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।
ॐ विघ्नेश्वराय नम:।
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।
द्वविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिवं।
Ganesh Chaturthi Pooja
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