Durga Ashtami (दुर्गाष्टमी)

दुर्गाष्टमी (आश्विन शुक्ल अष्टमी) 

आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाते है । इस दिन दुर्गा देवी की पूजा का विधान है ।  सम्पूर्ण भारत वर्ष में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तथा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को बड़ी श्रद्धा, भक्ति व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जिसे वसन्त व शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवती दुर्गा का पूजन कर नवरात्र की पूर्णाहुति की जाती है। इस दिन देवी दुर्गा की मूर्ति का मन्त्रों से विधिपूर्वक पूजन किया जाता है और भगवती दुर्गा को उबाले हुए चने, हलवा-पूड़ी  का भोग लगाया जाता है। तेल, सिंन्दूर, बर्ग, पुष्पमाला, धूप, दीप, नैवेध, श्रीफल, ऋतुफल, कुमकुम, अक्षत इत्यादि पूजन सामग्रियों से मां भगवती की पूजा -अर्चना कर महाआरती की जाती है। घरों व मंदिरों  में शक्ति स्वरूपा कन्याओं का पूजन कर उनकों भोज करवाया जाता है।

दुर्गा मंत्र

॥ ऊं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ॥

 दुर्गा साधना मंत्र

ॐ नमो दैव्यै महादैव्यै शिवायै सततं नम:॥
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम॥

नवार्ण मंत्र

॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥

क्षमा प्रार्थना

नमो दैव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।
नम: प्रकृतयै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम॥
या देवी सर्व भूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥