Devi Mantra – नौ देवियों के बीज मंत्र

 Durga Beej Mantra – Nine Forms of Durga

जय माता दी
सच्चियां जोतां वाली माता तेरी सदा ही जय

जयकारा शेरां वाली दा, 
बोल सांचे दरबार की जय

नवरात्रों में नौ दिन क्रमश शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, मां गौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा की जाती है | इन नौ देवियों को प्रसन्न करने का पृथक बीज मंत्र दिया गया है |

नवदुर्गा के इन बीज मंत्रों की साधना से,पाठ से  संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

 

1. शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम:

2. ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

3. चन्द्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम:

4. कूष्मांडा : ऐं ह्री देव्यै नम:

5. स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:

6. कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:

7. कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:

8. मां गौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

9. सिद्धिदात्री : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

 

देवी कवच तन्त्रोक्तम् देवी सूक्तम्

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभेतेषु चेतनेत्यभिधीयते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

यादेवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

 

गजाननं भूतगणदिसेवितं कपिस्थ जम्बू फल चारुन भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।।

Jai Mata Di

Sacchiya Jota Wali Mata Teri Sada Hi Jai

Jaykara Shera Wali Da

Bolo Sanche Darbar Ki Jai

Jai Mata DI

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